अनोखी और दिलचस्प जानकारी - 26 ----------------------------------------
16 जनवरी 1926 में लाहौर में जन्मे ओ पी नैय्यर ने विधिवत संगीत शिक्षा ग्रहण नहीं की थी ! यह उनकी नैसर्गिक प्रतिभा थी, जो इसके बावजूद उन्हें शीर्ष पर ले आयी ! न्यू थियेटर्स के संगीत से वे बचपन से ही प्रभावित रहे, उनकी आरंभिक कई रचनाओं में इसका असर दिखता है ! बचपन से ही बच्चों के कार्यक्रम में लाहौर रेडियो से वे गाने लगे थे ! प्रथम बार फिल्मों में गाने का मौका उन्हें रूप शोरी की फिल्म 'दूल्हा भट्टी' में मिला, जहाँ गोविन्दराम के संगीत निर्देशन में उन्हें गाने का अवसर प्राप्त हुआ ! परिवार से उन्हें इस संगीत प्रेम के लिए प्रोत्साहन नहीं मिला, पर नैय्यर का मन पढ़ाई में कम और संगीत में अधिक रमता था !
17 वर्ष की आयु में ही नैय्यर साहब ने एच एम वी के लिए खुद की कम्पोज की गयी 'कबीर वाणी' गाई ! आज हम आपको ओ पी नैय्यर साहब की आवाज में वही दुर्लभ रिकार्डिंग सुनवा रहे हैं :
अनोखी और दिलचस्प जानकारी - 25 ---------------------------------------
वैसे तो 'शो मैन राज कपूर' के लिए अधिकाँश फिल्मों में गायक मुकेश ने गाने गए हैं ! उनके लिए इतनी ज्यादा बार गीत गाये कि मुकेश को राज कपूर की आवाज के नाम से जाना जाने लगा था !
कई अन्य गायकों जैसे मोहम्मद रफ़ी, मन्ना डे और तलत महमूद ने भी राज कपूर के लिए कई फिल्मों में गाने गाये थे लेकिन किशोर कुमार ने सिर्फ एकमात्र फ़िल्म- प्यार (1950) में राज कपूर के लिए अपनी आवाज़ दी !
राज कपूर-नरगिस अभिनीत एक अन्य फ़िल्म - आशियाना (1952) में भी किशोर कुमार-शमशाद बेगम ने एक गाना - "ओ मैडम दो से हो गए एक हम" गाया था किन्तु ये गाना कलाकार रणधीर और मोहना पर फिल्माया गया था !
आईये आज राज कपूर के लिए किशोर कुमार द्वारा गाये एक मात्र फ़िल्म प्यार (1950) के गानों को सुनते हैं -
मोहब्बत का छोटा सा एक आशियाना
किसी ने बनाया किसी ने मिटाया
Mohabbat Ka Chhota Sa Ek Aashiyana
Kisee Ne Banaya Kisee Ne Mitayaa
Singer - Kishore Kumar ! Film - Pyar (1950)
Music - Sachin Dev Burman ! Lyricist - Rajendra Krishan
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कच्ची पक्की सड़क पे मेरी टम टम
चली जाए चली चली जाए छम छम
Kachi Pakki Sadko Pe Meri Tam-Tam
Chali Jaye Chali Chali Jaye Chham Chham
Film- Pyaar (1950) ! Lyrics- Rajinder Krishan
Music- S D Burman ! Singer- Kishore Kumar
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ओ बेवफा ये तो बता लुटा चमन क्यूँ प्यार का
जिस दिल में तेरा प्यार था उस दिल को क्यूँ ठुकरा दिया
O Bewafa Ye To Bata Luta Chaman Kyun Pyaar Ka
Jis Dil Men Tera Pyar Tha Us Dil Ko Kyun Thukra Diya
1936-37 में
बाम्बे टाकीज़ द्वारा निर्मित एवं अशोक कुमारऔरदेविका रानी के
अभिनय से सजी फ़िल्म- 'जीवन नैया' प्रदर्शित हुयी थी ! फ़िल्म में सरस्वती
देवी ने संगीत दिया था ! इसी फ़िल्म में अभिनेता अशोक कुमार ने एक गाना
गाया था- 'कोई हमदम न रहा, कोई सहारा न रहा ...'
फ़िल्म- 'जीवन नैया' का यह गाना किशोर कुमार को बचपन से ही बहुत पसंद था ! उन्होंने अपने बड़े भाई दादामुनि यानि
अशोक कुमार से कहा भी था कि एक दिन ये गाना मैं गाऊंगा और तुमसे अच्छा गाकर
दिखाऊंगा ! पच्चीस वर्ष बाद जब 1961 में जब किशोर कुमार और मधुबाला की
फ़िल्म- 'झुमरू' आयी, जिसका संगीत भी किशोर कुमार ने दिया था, उसमें
उन्होंने अशोक कुमार का वही गाना गाया ! आईये आज दोनों गानों को सुनते
हैं :
वर्ष 1954 में देश भक्ति की भावना को जगाती फ़िल्म 'जागृति' प्रदर्शित हुयी थी ! वस्तुतः यह 1949 में सत्येन बोस द्वारा निर्देशित बांगला फ़िल्म 'परिबर्तन' पर आधारित थी !
अभि भट्टाचार्य, प्रणोति घोष, कनु राय, महमूद इत्यादि के अभिनय से
सुसज्जित फ़िल्म 'जागृति' जब रिलीज हुयी तो सर्वत्र सराही गयी ! इस फ़िल्म के
सभी गीतों को कवि प्रदीप जी ने लिखा था और संगीत हेमंत दा ने दिया था !
1957 में पाकिस्तान में रफ़ीक़ रिज़वी के निर्देशन में फ़िल्म 'बेदारी' का निर्माण हुआ, जिसमें भारतीय फ़िल्म 'जागृति' के तीन गानों का उपयोग कर लिया गया ! बस कवि प्रदीप जी के गीतों में थोड़े-बहुत मन मुताबिक़ परिवर्तन के साथ गाने बना लिए गए !
मजे की बात है कि प्रदीप जी के लिखे- 'हम लाये हैं तूफ़ान से कश्ती निकाल के, इस देश को रखना मेरे बच्चों सम्भाल के' गीत को बिगाड़ के फ़िल्म 'बेदारी' के दृश्य में बच्चों को प्रेरणा देते हुए इस तरह गाया गया - "लेना
अभी कश्मीर है ये बात ना भूलो, कश्मीर पे लहराना है झंडा उछाल के, इस
मुल्क को रखना मेरे बच्चों सम्भाल के" :-) पाकिस्तान के इन बच्चों ने मुल्क को ऐसा
सम्भाला कि कश्मीर तो एक तरफ बांग्लादेश से भी हाथ धो बैठे, बाकी और भी
जाने क्या-क्या गंवाने को तैयार बैठे हैं !
आईये हमारे तीनों गानों को और उनकी नक़ल को सुनते हैं :
[INDIA] Hum Laaye Hain Tufan Se Kashti Nikaal Ke Is Desh Ko Rakhna Mere Bachchon Sambhaal Ke Film : Jagriti (1954) Singer : Mohammed Rafi Music : Hemant Kumar Lyricist : Kavi Pradeep
[PAKISTAN] Hum Laye Hain Tufan Se Kashti Nikaal Ke Is Mulk Ko Rakhna Mere Bachchon Sambhaal Ke Film : Bedari (1957) Singer : Saleem Raza Music : Fateh Ali Khan Director : Rafiq Rizvi
अगर फ़िल्म जगत के सर्वाधिक सफल गीतों के सृजन की बात हो तो संगीतकार रवि जी का नाम सबसे पहले लिया जाएगा ! कहानी की सिचुएशन और गीत के मुताबिक़ धुनें तैयार करने में उनका कोई सानी नहीं था ! रवि के संगीत निर्देशन में बनी ज्यादातर फिल्मों के लगभग सभी गीत सुपर हिट होते रहे। मिसाल के तौर पर ‘दिल्ली का ठग, ‘गुमराह’, ‘काजल’, ‘खानदान’,
‘हमराज’, ‘आंखें’, ‘दो बदन’, ‘चौदहवीं का चांद’ ‘वक्त’, ‘एक फूल दो माली’, ‘दस लाख’, ‘नील कमल’, ‘एक महल हो सपनों का’, ‘आदमी सड़क का’ और ‘निकाह’ जैसी बेशुमार फिल्मों के ज्यादातर गीत सुपर हिट रहे हैं। इन फिल्मों के ये गीत कभी भुलाए नहीं
जा सकते।
दिलचस्प बात है कि संगीतकार रवि फ़िल्मी दुनिया में आए तो थे एक गायक बनने के लिए, लेकिन बन गए संगीतकार। इसीलिए तो कहा जाता है न क़िस्मत में जो लिखा है, वही होकर रहता है। क्या आप जानते हैं रवि जी ने कुछ फिल्मों में स्वयं भी गाने गाये थे ? आज हम आपको संगीतकार रवि के गाये कुछ गीतों को सुनवाते हैं, हालाँकि उनकी आवाज़ आम गायकों से हटकर थी, लेकिन एक अजीब सा आकर्षण और खिंचाव था उनकी आवाज़ में जो सुनने वाले को बाँध लेता था :
1- एक भूली याद ने फिर दिल मेरा तड़पा दिया मुझको मेरे खूबसूरत ख्वाब से चौंका दिया 2- मैं हूँ मजबूर मेरी मंजिल है दूर, कहीं रस्ते में शाम हो न जाए 3- मेरा दिल है प्यार का आशियाँ, यहाँ जी तो लूंगा क़रार से मेरे आगे चमन का नाम न लो, मैं डरा हुआ हूँ बहार से 4- मेहनत कर ले बन्दे मेहनत का फल मिलेगा मेहनत से तूफानों में भी साहिल तुझे मिलेगा 5- इंसान जी रहा है उम्मीद के सहारे, हर काम कर रहा है उम्मीद के सहारे 6-किस्मत के खेल निराले मेरे भैया, किस्मत का लिखा कौन टाले मेरे भैया
1- Ek Bhuli Yaad Ne Fir Dil Mera Tadpa Diya Film : Jogi (1982) Singer & Music : Ravi Lyricist : Shakeel Badayuni
2- Main Hun Majboor Meri Manjil Hai Door Film :Padosi (1971)
Singer & Music :Ravi
Lyricist :Asad Bhopali
3- Mera Dil Hai Pyar Ka Aashiyan, Yahan Jee To Lunga Qarar Se Film :Umeed (1971)
Singer & Music : Ravi
Lyricist :Shakkel Badayuni
4- Mehnat Kar Le Bande, Mehnat Ka Fal Milega Film :Padosi (1971)
Singer & Music : Ravi Lyricist :Ravi
5- Insan Jee Raha Hai Ummid Ke Sahare
Film :Umeed (1971) Singer & Music & Lyricist :Ravi
आज प्रस्तुत इस गाने की विशेषता यह है कि इस गीत से तीन जानी-मानी गायिकाएँ जुडी हैं मगर तीनो की भूमिकायें अलग-अलग है ! फ़िल्म- गरम खून (1980) में गायिका शारदा जी ने गीत लिखा है और गायिका- अभिनेत्री सुलक्षणा पंडित पर इसे फिल्माया गया है, स्वर देने वालीं कोई और नहीं लता मंगेशकर जी हैं और गीत भी बेहद भावपूर्ण और खूबसूरत बन पडा है ! ऐसा संगम पहले किसी और गाने में नहीं देखा ! आपको कोई जानकारी हो तो अवश्य हम से बाँटिएगा !
एक चेहरा दिल के करीब आता है ख्यालों को दूर दूर ले जाता है
Song -Ek Chehra Dil Ke Kareeb Aata Hai Singer -Lata Mangeshkar Movie -Garam Khoon [1980] Music - Shankar Jaikishan Lyricist - Sharda Actress - Sulakshna Pandit
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गायिका शारदा और सुलक्षणा पंडित के बारे में हम यहाँ लिंक १ & २ पर विस्तार से जानकारी दे चुके हैं
"अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों …" गाना हिन्दी फिल्मों का सबसे लंबा गीत है ! इस गाने की अवधि 'बीस मिनट' है, जो कि फ़िल्म के अंदर तीन चरणों में फिल्माया गया है ! गीतकार समीर के लिखे एवं अनु मालिक के संगीत निर्देशन में इस गाने को अलका याग्निक, सोनू निगम, उदित नारायण और कैलाश खेर ने गाया !
Song - Ab Tumhare Hawale Watan Sathiyo Movie - Ab Tumhare Hawale Watan Sathiyo Singer - Alka Yagnik, Kailash Kher, Sonu Nigam, Udit Narayan Artist - Amitabh Bachchan, Akshay Kumar, Boby Deol, Nagma Lyricist - Sameer Music - Anu Malik
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गौरतलब है कि "अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों" गाने को
अनोखी और दिलचस्प जानकारी [19] --------------------------------------------------
हिंदी फिल्म जगत के लोकप्रिय और बेहद सफल गीतकार के रूप में जाने जाने वाले आनंद बक्षी को कौन नहीं जानता ? उनका जन्म 1930 में और देहांत 2002 में हुआ था।
फिल्मों में गीतकार के रूप में अमिट छाप छोड़ने वाले वे ,गायक बनने का सपना लिए मुम्बई आये थे। रावलपिंडी में जन्मे आनंद ने जलसेना में नौकरी शुरू की परन्तु वह उन्हें रास नहीं आई जिसे छोड़ कर वे लखनऊ में टेलीफोन ओपरेटर की नौकरी करने लगे। वहाँ भी दिल नहीं लगा तो मुम्बई आ कर गायक बनने के लिए संघर्ष करने लगे। बात नहीं बनी तो दिल्ली आकर मोटर मेकेनिक का काम करना शुरू किया। ..कवि मन था सो वहाँ भी न लगा, दोबारा मुम्बई जा कर किस्मत आजमाने पहुँच गए।
इस बार इत्तेफ़ाकन भगवान दादा ने उन्हें अपनी फिल्म बड़ा आदमी [1956] के गीतकार के रूप में लिया और फ़िल्मी दुनिया के दरवाज़े खोल दिए .मगर उन्हें पहचान मिली फिल्म 'जब -जब फूल खिले' के गीतों के साथ ,जहाँ से उन्होंने मुड़ कर नहीं देखा। गायक बनने का सपना अब भी उनके मन में था जिसे उन्होंने जल्द पूरा किया और जब भी अवसर मिला अपनी आवाज़ में गाने रिकॉर्ड किये।
इन गीतों की संख्या बहुत तो नहीं है ,ये ही कोई 9 गीत हैं जिनके बारे में मुझे मालूम है। उनके गाये कुछ गीत यहाँ दिए जा रहे हैं, शायद बहुतों के लिए जो उन्हें सिर्फ गीतकार के रूप में अब तक जानते हैं, उनके लिए यह नयी जानकारी हो।
गीत - 'मैं ढूँढ़ रहा था सपनो में ,तुम को अंजानो अपनों में '
गायक और गीतकार - आनंद बक्षी
संगीत - लक्ष्मीकांत- प्यारेलाल
फिल्म- मोम की गुडिया [1972]
इसी फिल्म में लता जी के साथ - 'बागों में बहार आयी' ...
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एक गीत आशा जी के साथ
फिल्म - महाचोर
संगीत - राहुल देव बर्मन
गीतकार और गायक - आनंद बक्षी
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चलते -चलते
एक और रोचक जानकारी आपके लिए आनंद साहब ने आर्थिंक तंगी के दिनों में एक फिल्म में मात्र 300 रूपये के लिए एक फ़कीर का रोल भी किया था और जिस गीत को उनपर फिल्माया गया है उसे लिखने वाले मजरूह सुल्तानपुरी और स्वर देने वाले रफ़ी साहब थे। देखिये यह गीत और पहचानिये इसमें फ़कीर को -
हमारे अधिकाँश फिल्मकारों का यह मानना रहा है कि
चूँकि सिनेमा का मूल
उद्देश्य जनता का मनोरंजन करना है अतैव साहित्यिक कृतियों के जरिये दर्शकों
की अपेक्षाओं को पूरा करना कठिन हो जाता है ! इसके बावजूद भी अनेक
प्रबुद्ध और सजग फिल्मकारों ने समय-समय पर नामी लेखकों की साहित्यिक
कृतियों व रचनाओं को आधार बनाकर सफल फिल्मों का निर्माण किया !
चूँकि फ़िल्म एक ऐसा माध्यम है जो जन-जन से जुड़ा है, इसलिए फिल्मकारों
साहित्यिक कृतियों को फिल्माने में थोड़ी-बहुत छूट भी ली है ! कई बार
लेखकों ने अपनी कृति के साथ खिलवाड़ करने के आरोप भी लगाए हैं, लेकिन यह भी
उतना ही सच है कि फ़िल्म के माध्यम से साहित्यिक रचनाओं को बड़े पैमाने पर
पहचान भी मिलती है ! यहाँ हम हिंदी सिनेमा की ऐसी फिल्मों की सूची दे रहे हैं जो साहित्यिक कृतियों पर आधारित हैं :
======================================================= 'देवदास' - मूलरूप से बांग्ला में लिखित शरतचन्द्र चट्टोपाध्याय के
उपन्यास को आधार बनाकर हिंदी में प्रमथेश बरुआ (1936), विमल राय
(1955) और बाद में संजय लीला भंसाली (2002) द्वारा फ़िल्म का निर्माण हुआ ! ======================================================= 'परिणीता' -शरतचन्द्र चट्टोपाध्याय द्वारा 1914 में रचित चर्चित बांग्ला
उपन्यास पर इसी नाम से 1942 में पशुपति चटर्जी ने, 1953 में बिमल राय ने,
1969 में अजॉय कार ने और 2005 में प्रदीप सरकार ने फ़िल्म का निर्देशन किया !
======================================================= 'ज़िद्दी' (1948) -इस्मत चुगतई की कहानी पर केंद्रित फ़िल्म का निर्देशन शाहिद लतीफ़ ने किया ! ======================================================= 'बिराज बहू' (1954) -शरतचन्द्र चट्टोपाध्याय की कृति पर आधारित फ़िल्म का निर्माण हितेन चौधरी ने और निर्देशन बिमल राय ने किया ! ======================================================= 'सुजाता' (1959) -सुबोध घोष की बांग्ला कहानी पर आधारित फ़िल्म का निर्देशन बिमल राय ने किया !
======================================================= 'धर्मपुत्र' (1961) - आचार्य चतुरसेन के उपन्यासको आधार बनाकर यश चोपड़ा ने इसी नाम से फ़िल्म बनायी ======================================================= 'साहब बीबी और गुलाम' (1962) - बांग्ला उपन्यासकार विमल मित्र के उपन्यास पर इसी नाम से गुरुदत्त ने फ़िल्म बनायी, जिसको अबरार अल्वी ने निर्देशित किया ! ======================================================= 'गोदान' (1963) - उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद की अमर कृति पर आधारित फ़िल्म का निर्देशन त्रिलोक जेटली ने किया !
बंदिनी (1963) - चारुचंद्र चक्रबर्ती 'जरासंध' के बांग्ला उपन्यास 'तामसी' पर केंद्रित फ़िल्म का निर्माण बिमल राय ने किया !
======================================================= 'काबुलीवाला' (1965) - रबींद्रनाथ टैगोर द्वारा रचित कहानी पर केंद्रित
फ़िल्म का निर्माण बिमल राय ने और निर्देशन हेमेन गुप्ता ने किया ! =======================================================
'गाइड' (1965) - मूलरूप से अंग्रेजी में लिखे गए आर.के.नारायण के उपन्यास
'दि गाइड' पर देव आनंद ने हिंदी में फ़िल्म का निर्माण किया, जिसे विजय आनंद ने निर्देशित किया !
======================================================= 'गबन' (1966) - मुंशी प्रेमचंद के उपन्यास पर केंद्रित फ़िल्म का निर्माण ऋषिकेश मुखर्जी ने किया !
======================================================= 'तीसरी कसम' (1966) - उपन्यासकार-कहानीकार
फणीश्वरनाथ 'रेणु' की चर्चित कहानी 'तीसरी कसम उर्फ़ मारे गए गुलफाम' को
आधार बनाकर बासु भट्टाचार्य ने फ़िल्म बनायी ! ======================================================= 'सरस्वतीचन्द्र (1968) - गोवर्धनराम माधवराम त्रिपाठी के गुजराती उपन्यास पर उसी नाम से फ़िल्म का निर्माण गोविन्द सरैया ने किया ! ======================================================= 'भुवन सोम' (1969) -बलाई चन्द्र मुखोपाध्यायद्वारा रचित बाँग्ला कहानी पर
आधारित फ़िल्म का निर्माण व निर्देशन मृणाल सेन ने किया ! ======================================================= 'सारा आकाश'
(1969) - हाल में ही दिवंदत कथाकार 'राजेन्द्र यादव' के उपन्यास
'प्रेत बोलते हैं' को आधार बनाकर निर्देशक बासु चटर्जी ने फ़िल्म बनायी ! ======================================================= 'सफ़र' (1970) - आशुतोष मुखर्जी के बांग्ला उपन्यास पर आधारित फ़िल्म का निर्माण असित सेन ने किया ! ======================================================= 'छोटी बहू' (1971) - निर्देशक के.बी.तिलक ने शरतचन्द्र चटर्जी के बांग्ला उपन्यास 'बिन्दुर छेले' पर केंद्रित फ़िल्म बनायी ! ======================================================= 'रजनीगंधा' (1974) - निर्माता-निर्देशक बासु चटर्जी ने कथा लेखिका मन्नू भंडारी
की कहानी 'यही सच है' को आधार बनाकर फ़िल्म बनायी ! ======================================================= 'मौसम' (1975) - साहित्यकार 'कमलेश्वर' की लम्बी कहानी 'आगामी अतीत' पर
निर्देशक 'गुलज़ार' ने फ़िल्म का निर्माण किया ! ======================================================= 'आंधी'
(1975) - 'कमलेश्वर' के
ही एक अन्य उपन्यास 'काली आंधी' को केंद्र में रखकर गुलज़ार नेफ़िल्म बनायी ! ======================================================= 'बालिका बधू' (1976) - तरुण मजूमदार के निर्देशन में बनी ये फ़िल्म 'बिमल कार' के बांग्ला उपन्यास पर आधारित थी ! ======================================================= 'शतरंज के खिलाड़ी' (1977) - प्रेमचंद की कहानी पर सत्यजीत रे
ने इसी नाम से फ़िल्म बनायी ! ======================================================= 'भूमिका' (1977) -मराठी रंगमंच-सिनेमा की अभिनेत्री हंसा वाडकर द्वारा लिखे संस्मरण - 'सांगते एका' पर आधारित फ़िल्म का निर्देशन श्याम बेनेगल ने किया ! ======================================================= 'जूनून' (1978) -रुस्किन बॉन्ड के नावेल 'ए फलाईट आफ पिजन्स' पर आधारित
फ़िल्म का निर्माण शशि कपूर ने और श्याम बेनेगल ने निर्देशित किया ! ======================================================= 'अपने पराये' (1980) - शरतचन्द्र चट्टोपाध्याय द्वारा रचित बांग्ला उपन्यास 'निष्कृति' पर
आधारित फ़िल्म का निर्देशन बासु चटर्जी ने किया ! ======================================================= 'सदगति' (1981) - प्रेमचंद की कहानी के आधार पर छोटे परदे के लिए सत्यजीत रे नेफ़िल्म का
निर्माण किया ======================================================= 'उत्सव' (1984) -संस्कृत नाट्य कथा 'मृच्छकटिकम्' पर आधारित इस फ़िल्म का निर्माण शशि कपूर और निर्देशन गिरीश कर्नाड ने किया ! ======================================================= 'इज़ाज़त' (1987) -सुबोध घोष द्वारा रचित कहानी 'जोतुगृह' पर आधारित फ़िल्म को गुलज़ार ने निर्देशित किया ! =======================================================
'सूरज का सातवां घोडा' (1992) - 'धर्मवीर भारती' के उपन्यासपर निर्देशक
श्याम बेनेगल ने उसी नाम से फ़िल्म बनायी ! =======================================================
'ट्रेन
टू पाकिस्तान' (1998) - मूलरूप से अंग्रेजी में लिखे खुशवंत सिंह के उपन्यास पर निर्देशक पामेला रुक्स ने फ़िल्म
बनायी !
'ब्लैक फ्राईडे (2004) -एस.हुसैन जैदी के लिखे उपन्यास - 'ब्लैक फ्राईडे - द ट्रू स्टोरी आफ द बॉम्बे ब्लास्ट्स' पर केंद्रित फ़िल्म का निर्देशन अनुराग कश्यप ने किया !
फिल्म जगत की बातें निराली होती हैं और कई बार ऐसी स्थितियां आ जाती हैं
जिन्हें अच्छे -अच्छे भी झेलना मुश्किल समझते हैं ! अपने अहम् और कद को एक
तरफ रख कर समझौते करने पड़ते हैं !
शास्त्रीय गायन के उस्ताद को कहा जाए
कि वह नौसिखीये के सामने जानबूझकर हार जाए तो उस के लिए यह काम आसान न होगा
,कभी उसका अहम् कभी उसकी काबिलियत आड़े आयेगी ही ! ऐसी ही स्थिति मन्ना डे की हुई थी जब उन्हें फिल्म बसंत बहार के लिए एक गाना गाने को कहा गया और उस में
उन्हें शास्त्रीय संगीत के महान गायक के गायन को अपनी गायकी से कमतर साबित
करते हुए फिल्म के नायक को जीत दिलवानी थी !
दोनों गायकों के लिए यह बेहद कठिन होता है लेकिन संगीतकारों के आगे उनकी न चली
और उन्हें जैसा कहा गया वैसा गाना पड़ा ... मेरे विचार में ऐसा कर पाना भी तो उनकी
श्रेष्ठता को ही साबित करेगा ! इस
गीत में कैसे उन्हें भारतीय शास्त्रीय संगीत के महान गायक भारत रत्न पंडित
भीमसेन जोशी के साथ सुरों की जंग में 'जानबूझकर तय की हुई 'जीत मिली -- आप भी सुने ---
केतकी
गुलाब जूही चम्पक बन फूले
Song - Ketaki Gulaab Juhi Champak Ban Phoole
Film - Basant Bahar (1956)
Music - Shankar Jaikishan
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ऐसे ही एक बार उन्हें एक गाने में किशोर कुमार के आगे
हार जाना को कहा गया !मन्ना डे को बड़ा अटपटा लगा संगीतकार से प्रश्न किया कि गीत में गाये जाने वाली किशोर कुमार की उस सरगम और तान का वास्तविक संगीत से
कोई लेना देना नहीं , लेकिन फिर संगीतकार के आगे हार माननी पड़ी ऐसा करपाना भी सिद्ध गायक के
लिए बड़ी चुनौती होती है बिलकुल उसी तरह जिस तरह किसी अच्छे तैराक से कहो कि जानबूझकर डूब जाए !
और इस गाने में उन्हें किशोर कुमार से हार जाना पड़ा
गाना - एक चतुर नार करके सिंगार
Song - Ek Chatur Naar Karke Sringaar
Film - Padosan (1968)
Music - R.D.Burman
Lyrics - Rajendra Kishan
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अब इन्हीं गीतों के बारे में अभिनेता महमूद और मन्ना जी के संस्मरण सुनिये -
'फिल्म अन्नदाता के गीत - 'ओ मेरी प्राण सजनी चंपावती आ जा' में दो रोचक और ख़ास बाते हैं :
पहली ख़ास बात - इस गीत में जो नृत्य कर रहे हैं वे हैं नृत्य सम्राट - कथक के जाने माने नृतक रहे गोपी कृष्ण जी जिन्होंने 1952 में मात्र 17 साल की उम्र से नृत्य निर्देशन का काम शुरू कर दिया था, और लगातार 9 घंटे 20 मिनट का कत्थक नृत्य कर के एक विश्व रिकॉर्ड भी बनाया !
दूसरी ख़ास बात है कि इस गीत को किशोर कुमार के साथ सबिता चौधरी ने गाया है, जिनसे बहुत कम लोग परिचित होंगे. साबिता चौधरी संगीतकार सलील चौधरी की पत्नी हैं ! इस गाने को अभिनेत्री मधुमती पर फिल्माया गया है ! इस गीत का मधुर संगीत सलील चौधरी का है ! गीत की खासियत यह भी है कि नायक [अनिल धवन] जो बात खुल कर नायिका [जया] से कह नहीं पा रहा है वह गीत के ज़रिए कही जा रही है, आज कल के गाने के जैसा कोई वल्गरपना भी कहीं नहीं दिखता.
'कतिया करूँ सारी राती कतिया करूँ ...' प्रेम और समर्पण के ये भाव एक प्रेमिका अपने प्रेमी को गा कर कह रही है कि रात रात भर अपने मन के चरखे पर तेरे प्रेम के धागे कातती रहूँ ! पंजाब के ग्रामीण अंचल से निकले इस गीत ने कई संगीतकारों को बहुत आकर्षित किया है ! साल 1963 की फिल्म 'पिंड दी कुड़ी' में इस पंजाबी गीत को शमशाद बेगम ने गाया था :
Singer - Shamshad Begum
Actress - Nishi
Film - Pind Di Kurhi (1963)
और 50 साल बाद ए.आर.रहमान के संगीत निर्देशन में फिल्म 'रॉकस्टार' के लिए इसे हर्षदीप कौर ने गाया ! दोनों ही गीत अपने अपने समय में हिट रहे ! इन दोनों संस्करणों के बोलों में थोडा फर्क ज़रुर है और संगीत में भी लेकिन यही तो ख़ास बात होती है मिटटी की सौंधी खुशबू लिए इन लोक गीतों की कि सालों बाद भी किसी भी रंग में रंग दो, ये महकते रहते हैं :
आजकल फिल्मों की डबिंग इस भाषा से उस भाषा में होना नई बात नहीं है लेकिन अगर हम पुराने दिनों की बात करें जब तकनीक का इतना विकास नहीं हुआ था तब यह बात सामान्य बात नहीं थी ! 1952 में बनी 'आन' फिल्म एक ऐसी फिल्म थी जिसकी लोकप्रियता ने उसे तमिल ,फ्रेंच ,अंग्रेज़ी और जापानी भाषा में डब करवाया .तमिल में डब हुई वह पहली हिंदी फिल्म थी !
रफ़ी साहब तमिल में गाने डब नहीं करना चाहते थे तो उनकी जगह महबूब खान ने उन्हीं के सहायक निर्देशक एस.एम् सिरकर से गाने गवाए ! लता और शमशाद और लता ने अपने हिंदी गीत तमिल में गाये परंतु अच्छा फीडबेक न मिलने के कारण उनके गानों को दूसरी तमिल गायिका एस.एम् राजेस्वरी और एस.राजलक्ष्मी की आवाज़ में गवाकर फिल्म में इस्तमाल किया गया !
ज्ञात हो कि महबूब खान की इस मास्टरपीस के लिए उनकी पहली पसंद नर्गिस थीं लेकिन नर्गिस के पास डेट्स की समस्या थी जिसके कारण नादिरा को लिया गया और शेष इतिहास बन गया!
Main Raani hun Raja ji
Movies : Aan (1953)
Singer : Shamshad Begum
Lyricist : Shakeel Badayuni
Music : Naushad
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इसी हिंदी गाने को तमिल में शमशाद बेगम की आवाज़ में सुनिये,जिसे तमिल के सही उच्चारण न होने के कारण पसंद नहीं किया गया और फिल्म में नहीं रखा गया-
Song - Naan Raaniye Raajaavin ... Music : Naushad
Lyricist : Kambadasana
Singer : Shamshad Begum
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अब सुनिये यही गीत जिसे 12 वर्षीय राजलक्ष्मी से गवाया गया और फिल्म के तमिल संस्करण में रखा गया.
हिंदी फिल्मो के कई गीत लोकगीतों से प्रेरित हैं, ऐसा ही एक लोकगीत है 'झुमका गिरा रे ...' सन 1947 में फिल्म 'देखो जी' में शमशाद बेगम ने इसे गाया था, और फिर 1966 में फिल्म' 'मेरा साया' में' आशा भोसले ने गाया ! गीत के बोलों में बदलाव है ! यह मूलतः उत्तर भारतीय लोकगीत है, लेकिन पाकिस्तानी फिल्म में 1963 में बरेली की जगह 'कराची के बाज़ार में' गाया गया है !
हिंदी सिनेमा की सबसे बड़ी सुपर हिट फिल्म शोले की लोकप्रियता में अमजद खान यानी गब्बर सिंह का बहुत बड़ा रोल रहा था ! लेकिन क्या आपको मालुम है की जब फिल्म शोले की स्टार कास्टिंग की गयी थी तब अमजद खान का कहीं नाम ही नहीं था ! सारे पात्रों का चयन हो चुका था और प्रेस शो में शोले फिल्म की एनाउंसमेंट कर दी गयी थी ! गब्बर सिंह की भूमिका डैनी डेन्जोंगपा करने वाले थे !
फिर ऐसा क्या हुआ कि अचानक अमजद खान फ़िल्म में शामिल हो गए ?
दरअसल हुआ यूँ कि शोले की शूटिंग शुरू होने में कुछ देर थी और उधर डैनी को फिरोज खान की फिल्म धर्मात्मा की शूटिंग के लिए अफगानिस्तान जाना था … वहां से फिरोज खान बराबर फोन कर रहे थे कि जल्दी आओ तुम्हारे कारण शूटिंग रुकी पड़ी है। डैनी धर्म संकट में पड़ गए …. उन्हें जाना पड़ा और इधर फ़िल्म शोले का सेट तैयार हो चुका था !
बस !!! स्क्रिप्ट राईटर सलीम-जावेद ने आनन-फानन में अमजद खान का चयन किया
और बन गया इतिहास …. और गब्बर सिंह का किरदार अमर हो गया !
आप चित्र में देख सकते हैं कि फ़िल्म शोले के एनाउंसमेंट के समय
गायक मोहम्मद रफ़ी साहब ने आठ गैर फ़िल्मी गीतों का संगीत दिया था ! एक संगीतकार के रूप में उन्हें बहुत ही कम लोग जानते हैं ! जिन आठ गीतों का संगीत उन्होंने स्वयं दिया, वे इस प्रकार हैं :
गीतकार - मोहिंदर सिंह बेदी
गायक व् संगीतकार - मोहम्मद रफ़ी
1- घटा है बाग़ में
2- उठा सुराही ये शीशा ले
3- चले आ रहे हैं वो जुल्फें बिखेरे
4- खुदा ही जाने यार आये न आये
गीतकार - हसरत जयपुरी
गायक व् संगीतकार - मोहम्मद रफ़ी
1- दुल्हन का इश्क है
2- घर से डोला चला लाडली का
गीतकार - शबाब मीनाई
गायक व् संगीतकार - मोहम्मद रफ़ी
1- मैं सुनाता हूँ सच्ची ...
2- हकीक़त मोमिनो रमजान की
रफ़ी साहब की आवाज़ और उन्हीं के संगीतबद्ध गीत सुनिये--
Song - Chale Aa Rahe Hain Wo Julfen Bikhere ...
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Song - Dulhan Ka Ishq Hai, Dulhe Ka Pyar Sehra Hai ...