Tuesday 3 December 2013

गीतकार आनंद बक्षी एक गायक के रूप में

अनोखी और दिलचस्प जानकारी [19]
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हिंदी फिल्म जगत के लोकप्रिय और बेहद सफल गीतकार के रूप में जाने जाने वाले आनंद बक्षी को कौन नहीं जानता ? उनका जन्म 1930 में और देहांत 2002 में हुआ था।

फिल्मों में गीतकार के रूप में अमिट छाप छोड़ने वाले वे ,गायक बनने का सपना लिए मुम्बई आये थे। रावलपिंडी में जन्मे आनंद ने जलसेना में नौकरी शुरू की परन्तु वह उन्हें रास नहीं आई जिसे छोड़ कर वे लखनऊ में टेलीफोन ओपरेटर की नौकरी करने लगे। वहाँ भी दिल नहीं लगा तो मुम्बई आ कर गायक बनने के लिए संघर्ष करने लगे। बात नहीं बनी तो दिल्ली आकर  मोटर मेकेनिक का काम करना शुरू किया।  ..कवि मन था सो वहाँ भी न लगा, दोबारा मुम्बई जा कर किस्मत आजमाने पहुँच गए।

इस बार इत्तेफ़ाकन भगवान दादा ने उन्हें अपनी फिल्म बड़ा आदमी [1956] के गीतकार के रूप में लिया और फ़िल्मी दुनिया के दरवाज़े खोल दिए .मगर उन्हें पहचान मिली फिल्म 'जब -जब फूल खिले' के गीतों के साथ ,जहाँ से उन्होंने मुड़ कर नहीं देखा। गायक बनने का सपना अब भी उनके मन में था जिसे उन्होंने जल्द पूरा किया और जब भी अवसर मिला अपनी आवाज़ में गाने रिकॉर्ड किये।

इन गीतों की संख्या बहुत तो नहीं है ,ये ही कोई 9 गीत हैं जिनके बारे में मुझे मालूम है। उनके गाये कुछ गीत यहाँ दिए जा रहे हैं, शायद बहुतों के लिए जो उन्हें सिर्फ गीतकार के रूप में अब तक जानते हैं, उनके लिए यह नयी जानकारी हो।

गीत - 'मैं ढूँढ़ रहा था सपनो में ,तुम को अंजानो अपनों में '
गायक और गीतकार - आनंद बक्षी
संगीत - लक्ष्मीकांत- प्यारेलाल
फिल्म- मोम की गुडिया [1972]
इसी फिल्म में लता जी के साथ - 'बागों में बहार आयी' ...
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 एक गीत आशा जी के साथ
फिल्म - महाचोर
संगीत - राहुल देव बर्मन
गीतकार और गायक - आनंद बक्षी
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चलते -चलते 
एक और रोचक जानकारी आपके लिए आनंद साहब ने आर्थिंक तंगी के दिनों में एक फिल्म में मात्र 300 रूपये के लिए एक फ़कीर का रोल भी किया था और जिस  गीत को उनपर फिल्माया गया है उसे लिखने वाले मजरूह सुल्तानपुरी और स्वर देने वाले रफ़ी साहब थे। देखिये यह गीत और पहचानिये इसमें फ़कीर को -
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