Monday, 16 December 2013

जिन्हें नाज़ है हिन्द पर वो कहाँ हैं : मन्ना डे की आवाज़ में दुर्लभ गीत [17]

हिंदी सिनेमा के दुर्लभ गाने - [17] 
----------------------------------------------

स गीत को आपने रफ़ी की आवाज़ में बहुत बार सुना होगा ! 

ज हम आप को यही गीत, जो पहले मन्ना डे के स्वर में रिकॉर्ड हुआ था, मगर फिल्म के नायक गुरुदत्त पर आवाज़ सूट न कर पाने के कारण गीत को रफ़ी की आवाज़ में रिकॉर्ड किया गया ! साहिर के लिखे इस गीत की ख़ास बात थी की 50 के दशक में ऐसा क्रांतिकारी गीत लिखने का कोई तो कारण रहा होगा, जिसने कवि की लेखनी को मजबूर कर दिया, लोग बताते हैं कि तत्कालीन सरकार ने इस गीत पर अपनी नाराज़गी ज़ाहिर की थी और उस साल प्यासा फिल्म को बेहतरीन होने के बावजूद कोई पुरस्कार नहीं मिल पाया ! साहिर के लिखे इस गीत में लिखे शब्द सच्चाई बयां कर रहे हैं :
ये कूचे, ये नीलाम घर दिलकशी के, ये लुटते हुए कारवां ज़िंदगी के
कहाँ हैं, कहाँ हैं मुहाफ़िज़ खुदी के, जिन्हें नाज़ है हिन्द पर वो कहाँ हैं,
कहाँ हैं, कहाँ हैं, कहाँ हैं

ये पुरपेंच गलियां, ये बदनाम बाज़ार, ये गुमनाम राही, ये सिक्कों की झनकार,
ये इसमत के सौदे, ये सौदों पे तकरार, जिन्हे नाज़ है …
ये सदियों से बेखौफ़ सहमी सी गलियां, ये मसली हुई अधखिली ज़र्द कलियां
ये बिकती हुई खोखली रंगरलियाँ, जिन्हे नाज़ है …

वो उजले दरीचों में पायल की छन-छन, थकी हारी सांसों पे तबले की धन-धन
ये बेरूह कमरों मे खांसी की ठन-ठन, जिन्हे नाज़ है …
ये फूलों के गजरे, ये पीकों के छींटे, ये बेबाक नज़रे, ये गुस्ताख फ़िक़रे
ये ढलके बदन और ये बीमार चेहरे, जिन्हे नाज़ है …
यहाँ पीर भी आ चुके हैं, जवां भी, तन-ओ-मन्द बेटे भी,अब्बा मियाँ भी
ये बीवी है और बहन है, माँ है,, जिन्हे नाज़ है …

मदद चाहती है ये हव्वा की बेटी, यशोदा की हम्जिन्स राधा की बेटी
पयम्बर की उम्मत ज़ुलेखा की बेटी, ज़रा इस मुल्क के रहबरों को बुलाओ,
ये कूचे ये गलियां ये मंज़र दिखाओ, जिन्हें नाज़ है हिन्द पर उनको लाओ,
जिन्हे नाज़ है हिन्द पर वो कहाँ हैं, कहाँ हैं, कहाँ हैं, कहाँ हैं…

कवि - साहिर लुधियानवी
फिल्म - प्यासा [1957]
संगीतकार - सचिनदेव बर्मन
स्वर - मन्ना डे 
===============================================

Sunday, 15 December 2013

तीन गायिकाओं का निराला संगम

अनोखी और दिलचस्प जानकारी [21] 
----------------------------------------------------

Unusual Combination of Singers
------------------------------------------------------------------------
आज प्रस्तुत इस गाने की  विशेषता यह है कि इस गीत से तीन जानी-मानी गायिकाएँ जुडी हैं मगर तीनो की भूमिकायें अलग-अलग है ! फ़िल्म- गरम खून (1980) में गायिका शारदा जी ने गीत लिखा है और गायिका- अभिनेत्री सुलक्षणा पंडित पर इसे फिल्माया गया है, स्वर देने वालीं कोई और नहीं लता मंगेशकर जी हैं और गीत भी बेहद भावपूर्ण और खूबसूरत बन पडा है ! ऐसा संगम पहले किसी और गाने में नहीं देखा ! आपको कोई जानकारी हो तो अवश्य हम से बाँटिएगा !

एक चेहरा दिल के करीब आता है
 ख्यालों को दूर दूर ले जाता है
Song - Ek Chehra Dil Ke Kareeb Aata Hai
Singer - Lata Mangeshkar
Movie - Garam Khoon [1980]
 
Music - Shankar Jaikishan
Lyricist - Sharda
Actress -  Sulakshna Pandit

==========================================
गायिका शारदा और सुलक्षणा  पंडित के बारे में 
हम यहाँ लिंक  १ &  पर  विस्तार से जानकारी दे चुके हैं 
===========================================

Saturday, 14 December 2013

आठ वर्षीय मीना कुमारी का गाया गीत : हिन्दी सिनेमा के दुर्लभ गाने [16]


'ट्रैजेडी क्वीन' के नाम से मशहूर मीना कुमारी भारतीय हिन्दी सिनेमा की एक बहुत खूबसूरत और क़ाबिल अभिनेत्री थीं। उनका असली नाम माहजबीं बानो था। बंबई में पैदा हुई थीं, उनके पिता अली बक्श पारसी रंगमंच के एक मँजे हुये कलाकार थे और उन्होंने कुछ फिल्मों में संगीतकार का भी काम किया था। टैगोर परिवार से ताल्लुक रखने वाली उनकी माँ प्रभावती देवी (इकबाल बानो), भी एक मशहूर नृत्यांगना और अभिनेत्री थीं । इस तरह फ़िल्मी दुनिया उनके लिए कभी नयी नहीं थी।

अभिनेत्री के रूप में उन्हें कौन नहीं जानता 
लेकिन उनके गीतों के बारे में आप कितना जानते हैं ?

मीना का जन्म 1932 में हुआ था, उन्हें बाल कलाकार के रूप में अभिनय और गाना गाने का पहला अवसर फिल्म 'बहन' में मिला, जो 1941 में रिलीज़ हुई थी !

इस वीडिओ क्लिप में आठ वर्षीय नन्हीं मीना को अभिनय करते व गाते हुए देखिये -

Movie --- Bahen
Singer --- Meena Kumari 
Lyrics --- Safdar Aah Sitapuri
Music --- Anil Biswas
Year --- 1941


[मीना कुमारी के गाये अन्य दुर्लभ गीत भी हम अगली किसी पोस्ट में  सुनाएँगे]
==========================================================

Friday, 13 December 2013

छोटी सी दुनिया मोहब्बत की है मेरे पास : [Copied or Inspired Song - 20]

Copied or Inspired By Other Song [20]
----------------------------------------------------------

1992 में 'विजय सदाना' निर्देशित फ़िल्म- 'एक लड़का एक लड़की' प्रदर्शित हुयी थी, जिसमें एक गाना- 'छोटी सी दुनिया मोहब्बत की है मेरे पास' बहुत हिट हुआ था ! इस गीत को 'आनंद-मिलिंद' के संगीत निर्देशन में 'उदित नारायण' और 'साधना सरगम' ने गाया था ! क्या आपको मालुम है कि दरअसल ये गाना पाकिस्तान में 1980 में प्रदर्शित फ़िल्म- 'बंदिश' के एक गाने से कॉपी किया गया था ! इस गाने को 'रॉबिन गोश' के संगीत निर्देशन में 'एख़लाक़ अहमद' ने गाया था ! आईये आज 'ओरिजिनल' और 'कॉपी' हुए दोनों गानों को सुनते हैं :
[Original Song]
-------------------------------------------
सोना न चांदी न कोई महल
जानेमन तुझको मैं न दे सकूंगा 
Sona Na Chandi Na Koi Mahal
Jaaneman Tujhko Main De Sakunga

Singer : Akhlaq Ahmed 
Pakistani Movie : Bandish (1980)
Music : Robin Gosh 
Actors : Shabnum and Nadeem
==============================================

[Copied / Inspired Song]
---------------------------------------------------------------------
छोटी सी दुनिया मोहब्बत की है मेरे पास और तो कुछ नहीं है
लेकिन ये दावा है मेरा चाहत का ऐसा बसेरा सारे जहां में नहीं है 
Chhoti Si Duniya Mohabbat Ki Hai Mere Paas 
Aur To Kuchh Nahin Hai
Lekin Ye Dava Hai Mera Chahat Ka Aisa Basera 
Saare Jahan Men Nahin Hai

Singers : Udit Narayan, Sadhana Sargam
Movie : Ek Ladka Ek Ladki (1992)
Music : Anand-Milind
Starring : Salman Khan, Neelam Kothari
================================================
End
=================

Thursday, 12 December 2013

खय्याम साहेब ने फ़िल्म में स्वयं ग़ज़ल गायी थी : हिंदी सिनेमा के दुर्लभ गाने [15]


हिंदी फिल्म जगत में खय्याम साहब का अपना एक अहम् मुकाम है, वे एक बहुत ही उम्दा संगीतकार हैं ! हिंदी फिल्म संगीत के शौक़ीन यह भी जानते हैं होंगे कि गायिका जगजीत कौर उनकी पत्नी हैं !

क्या आप जानते हैं कि खय्याम साहेब ने एक फ़िल्म में ग़ज़ल भी गायी थी ?

आईये आज आपको फैज़ अहमद फैज़ की लिखी एक बेहद खूबसूरत ग़ज़ल को खय्याम साहब के संगीत  निर्देशन में संगीतबद्ध उनकी ही आवाज़ में सुनवाते हैं, जिसे फिल्म अंजुमन (1986) के लिए रिकॉर्ड किया गया था, हालांकि ये फिल्म कभी रिलीज़ नहीं हो पायी ! इस ग़ज़ल में स्वर स्वयं खय्याम साहब और उनकी पत्नी गायिक जगजीत कौर के हैं !
.
कब याद में तेरा साथ नहीं, कब हाथ में तेरा हाथ नहीं
सद शुक्र के अपनी रातों में, अब हिज्र की कोई रात नहीं
Kab Yaad Mein Tera Saath Nahin, Kab Haath Men Tera Haath Nahin
Sad-Shuqra Ke Apni Raaton Maen, Ab Hizra Kee Koyi Raat Nahin

Singer : Khaiyyam and Jagjit Kaur
Movie : Anjuman(1986) [Unreleased]
Music : Khaiyyam
Poet : Faiz Ahmed Faiz
Film Director : Muzaffar Ali
=============================================