Wednesday 4 December 2013

गायिका शारदा - [गुमनाम गायक/गायिका - 8]

गुमनाम गायक/गायिका - [8] 
गायकों का पहला / आखिरी गाना - [10] 
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Singer Sharda
आज जानते हैं हिंदी फिल्मों के 60वें दशक की मशहूर पार्श्व गायिका शारदा के बारे में जिन्होंने अपनी विशेष छाप छोड़ी और फिर फ़िल्मी दुनिया से गायब हो गयीं।

गायिका शारदा जी (पूरा नाम शारदा राजन आयंगर) का जन्म दक्षिण भारत में हुआ और फिर वहाँ से ये मुम्बई गयीं और बाद में अपने परिवार के साथ तेहरान चली गयीं। वहीँ राज कपूर से उनकी मुलाकात हुई। तमिल भाषी होने के बावजूद उन्हें हिंदी गीतों में अधिक रूचि थी। वे हिंदी फिल्मों के बारे में अपनी चचेरी बहन (जो उत्तर भारत में रहती थीं) से बहुत सुना करती थी नूरजहाँ के गीत सुनने को वे चाय  या पान की दूकान पर भी रुक जाया करतीं। हिंदी बोलना नहीं आता था परन्तु मुम्बई शिफ्ट होने के बाद हिंदी बोलना सीखा। उनकी माता जी को कर्णाटक संगीत का ज्ञान था परन्तु उन्होंने मुम्बई में ही संगीत की शिक्षा ली

राज कपूर ने उन्हें तेहरान में एक पार्टी में गाते सुना तो उन्हें मुम्बई आने का निमन्त्रण दे डाला। मुम्बई [पहुँच कर उन्होंने आर के स्टूडियो में अपना ऑडिशन दिया, जिसमें उन्होंने बरसात फिल्म का गाना "मुझे किसी से प्यार  हो गया" और "बिछुड़े हुए परदेसी" सुनायाऑडिशन में उन्हें सुनने वालों में राज जी के अलवा उनकी पत्नी कृष्णा जी और रणधीर और ऋषि कपूर भी थेयहीं से शारदा जी के लिए फिल्मी दुनिया के दरवाज़े खुल गए

राज जी ने उन्हें शंकर जयकिशन के पास भेजा जहाँ उन्हें पार्श्व गायन के लिए प्रशिक्षित किया जाने लगा उनका पहला गाना फिल्म सूरज [1966] में  "तितली उडी" था जिस के लिए उन्हें फिल्मफेयर का विशेष अवार्ड भी मिला क्योंकि रफ़ी साहब के नॉमिनेटेड गीत 'बहारों फूल बरसाओ' के बराबर वोट मिले थे

फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ पार्श्वगायिका का अवार्ड उन्हें 1970 में फिल्म- ''जहाँ प्यार मिले'' के गीत 'बात ज़रा..' के लिए मिला। शारदा जी को फिल्मों में अभिनय के ऑफर  भी मिले परन्तु उन्होंने गायन को ही अपना क्षेत्र चुना। शारदा जी के चाहने वाले और आलोचक लगभग बराबर ही अगर कहा जाये तो अतिश्योक्ति न होगी। अपने फ़िल्मी सफ़र को वे सफल मानती हैं

उन्होंने ‘ग़रीबी हटाओ’, ‘मंदिर मस्जिद’, ‘मैला आँचल’, ‘तू मेरी मैं तेरा’, ‘क्षितिज’ आदि फिल्मों में  संगीत निर्देशन भी दिया है उनके संगीत निर्देशन में आशा, मुकेश, रफ़ी साहब, मन्ना डे , किशोर कुमार, महेंद्र कपूर आदि ने गाया है एचएमवी के साथ कॉन्ट्रैक्ट कर भारत में पहली बार पॉप संगीत रिकॉर्ड किया.उन्होंने  एक के बाद एक तीन एलबम निकाले, जो सफल रहे गायक मुकेश के साथ उन्होंने सबसे अधिक दोगाने गाये परन्तु वे रफ़ी साहब की बहुत बड़ी प्रशंसक थीं और उनसे गायकी के गुर सीखा करती थीं

शारदा जी यूँ तो फ़िल्मी दुनिया से दूर हो गयी हैं किन्तु वे आज भी स्टेज और प्राईवेट प्रोग्राम करती रहती हैं 'तितली उडी डॉट कॉम' उनकी 'वेबसाइट' है, जहाँ उन्होंने अपने सम्पर्क सूत्र भी दिए हुए हैंज़मीन से जुडी शारदा जी से कोई भी संपर्क कर सकता हैवे बहुत सरल  स्वभाव की हैं जिसके कारण आज भी लोग उन्हें चाहते हैंवे अमेरिका में रहती हैं और बहुत सक्रीय हैं 2007 में उन्होंने ग़ालिब की ग़ज़लों की अल्बम भी निकाली थी

फिल्मों के लिए रिकॉर्ड हुआ उनका आखिरी गीत फिल्म कांच की दीवार (1986) के लिए था - 'अइयों न मारो तीर का निशाना'
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Tuesday 3 December 2013

गीतकार आनंद बक्षी एक गायक के रूप में

अनोखी और दिलचस्प जानकारी [19]
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हिंदी फिल्म जगत के लोकप्रिय और बेहद सफल गीतकार के रूप में जाने जाने वाले आनंद बक्षी को कौन नहीं जानता ? उनका जन्म 1930 में और देहांत 2002 में हुआ था।

फिल्मों में गीतकार के रूप में अमिट छाप छोड़ने वाले वे ,गायक बनने का सपना लिए मुम्बई आये थे। रावलपिंडी में जन्मे आनंद ने जलसेना में नौकरी शुरू की परन्तु वह उन्हें रास नहीं आई जिसे छोड़ कर वे लखनऊ में टेलीफोन ओपरेटर की नौकरी करने लगे। वहाँ भी दिल नहीं लगा तो मुम्बई आ कर गायक बनने के लिए संघर्ष करने लगे। बात नहीं बनी तो दिल्ली आकर  मोटर मेकेनिक का काम करना शुरू किया।  ..कवि मन था सो वहाँ भी न लगा, दोबारा मुम्बई जा कर किस्मत आजमाने पहुँच गए।

इस बार इत्तेफ़ाकन भगवान दादा ने उन्हें अपनी फिल्म बड़ा आदमी [1956] के गीतकार के रूप में लिया और फ़िल्मी दुनिया के दरवाज़े खोल दिए .मगर उन्हें पहचान मिली फिल्म 'जब -जब फूल खिले' के गीतों के साथ ,जहाँ से उन्होंने मुड़ कर नहीं देखा। गायक बनने का सपना अब भी उनके मन में था जिसे उन्होंने जल्द पूरा किया और जब भी अवसर मिला अपनी आवाज़ में गाने रिकॉर्ड किये।

इन गीतों की संख्या बहुत तो नहीं है ,ये ही कोई 9 गीत हैं जिनके बारे में मुझे मालूम है। उनके गाये कुछ गीत यहाँ दिए जा रहे हैं, शायद बहुतों के लिए जो उन्हें सिर्फ गीतकार के रूप में अब तक जानते हैं, उनके लिए यह नयी जानकारी हो।

गीत - 'मैं ढूँढ़ रहा था सपनो में ,तुम को अंजानो अपनों में '
गायक और गीतकार - आनंद बक्षी
संगीत - लक्ष्मीकांत- प्यारेलाल
फिल्म- मोम की गुडिया [1972]
इसी फिल्म में लता जी के साथ - 'बागों में बहार आयी' ...
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 एक गीत आशा जी के साथ
फिल्म - महाचोर
संगीत - राहुल देव बर्मन
गीतकार और गायक - आनंद बक्षी
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चलते -चलते 
एक और रोचक जानकारी आपके लिए आनंद साहब ने आर्थिंक तंगी के दिनों में एक फिल्म में मात्र 300 रूपये के लिए एक फ़कीर का रोल भी किया था और जिस  गीत को उनपर फिल्माया गया है उसे लिखने वाले मजरूह सुल्तानपुरी और स्वर देने वाले रफ़ी साहब थे। देखिये यह गीत और पहचानिये इसमें फ़कीर को -
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Friday 22 November 2013

जब कोई बात बिगड़ जाए, जब कोई मुश्किल पड़ जाए : Copied or Inspired By Other Song [15]

[Original Song]
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If you miss the train I'm on,
you will know that I am gone
You can hear the whistle blow a hundred miles

[Five Hundred Miles (Peter, Paul, & Mary)]

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[Copied / Inspired Song]
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- गाना - 
जब कोई बात बिगड़ जाए, 
जब कोई मुश्किल पड़ जाए 
तुम देना साथ मेरा ओ हमनवाज 
Jab Koi Baat Bigad Jaaye, 
Jab Koyi Mushkil Pad Jaaye
Tum Dena Saath Mera O Hamnawaaz

Film - Jurm (1990)
Singers : Kumar Sanu, Sadhna Sargam
Music : Rajesh Roshan
Lyricist : Indeevar
Actors : Vinod Khanna, Meenakshi Sheshadri
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Sunday 17 November 2013

सवाल-जवाब / पहेली वाले गीत : [विषय आधारित फ़िल्मी गाने]

सवाल-जवाब / पहेली वाले गीत
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 Please Note 
Titles of all the songs are hyper linked with YouTube links.
If you want  to see related video song, Just click on them.
We have done this for your convenience.
Hope you appreciate our efforts ! 


Aadhi Roti Sara Kabab, Bol Mere Murge Ku Kadu Ku
Film - Janta Hawaldar (1979)
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Chura Le Na Tum Ko Ye Mausam Suhaana
Film - Dil Hi To Hai (1963)
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Haal Kaisaa Hai Janaab Kaa, Kya Khayal Hai Aap Ka
Film - Chalti ka naam gadi (1958)
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Hum Aapki Aankhon Mein, Iss Dil Ko Basa Dein To
Film - Pyaasa (1957)
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Hum Bhi Hain Tum Bhi Ho, Dono Hain Aamne Saamne
Film - Jis Desh Men Ganga Bahti Hai (1961)
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Hamne Jab Dil Tha Diya Koyi Vaada Tha Kiya Huzoor
Film - Chhoomantar (1956)
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Ichak Dana Beechak Dana, Daane Oopar Daana, Ichak Dana
Film - Shree 420 (1955)
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Jane Kahan Mera Jigar Gaya Ji, Abhi Abhi Yahin Tha Kidhar Gaya Ji
Film - Mr and Mrs.55 (1955)
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Koyal Kyon Gaaye, Badal Kyon Chhaaye
Film - Aap Aaye Bahar Aayi (1971)
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Mera Raja Beta Bujhe Ek Paheli, Pyari Pyari Ankhiyo Ki
Film - Anurag (1972)
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Mujhe Sach Sach Bata Do, Ki Kab Dil Men Samaye The
Film - Bawre Nain (1950)
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Naam Kya Hai, Pyaar Ka Maara, Ghar Ka Pata Do, Dil Hain Tumhaara
Film - Ye Dillagi (1994)
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Saaf Karo Saaf Karo Insaf Karo, Bhai Bhul Bhulaiya Maaf Karo
Film - Ashirwad (1968)
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Saheli Ho Paheli Puchho, O Shahri Babu Paheli Boojho
Film - Paheli (1977)
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Tere Dil Ka Makan Saiya Bada Aalishan, Bolo Bolo Meri Jaan
Film - Do Ustad (1959)
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O Tere Naino Ke Main Deep Jalaunga Apni Ankhon Se Duniya Dikhlaunga
Film - Anurag (1972)
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Tere Pyar Ka Aasra Chahta Hun, Wafa Kar Raha Hun Wafa Chahata Hun
Film - Dhool ka Phool (1959)
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Un Par Kaun Kare Ji Vishwaas, Liye Bhanwron Ka Bhes
Film - Kavi Kalidas (1959)
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Wo Kaun Hai, Wo Kaun Hai Jo Rooth Jaati Hai, Chiz Wo Najuk Badi
Film - Anjana (1969)
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Zindagi Hai Kya Bolo Zindagi Hai Kya, Zindagi Hai Lattoo
Film - Satyakam (1969)
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Songs Collection By : Prakash Govind & Alpana Verma

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अगर दी गयी सूची से अलग भी कोई गाना
आपको याद आ रहा हो तो अवश्य बताएं !
हम उसे भी सूची में जोड़ देंगे !


साभार / धन्यवाद
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Friday 15 November 2013

गायिका मुबारक बेगम : (गायकों का पहला / आखिरी गाना- 9)

Mubarak Begum : First / Last Song
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मुबारक बेगम ने 50 के दशक में अपने करियर की शुरुआत रेडियो से की थी लेकिन जल्दी ही वो फिल्मों में गाने लगीं। राजस्थान की रहने वाली मुबारक बेगम ने जब फ़िल्म 'हमारी याद आएगी...' (1961) के शीर्षक गीत 'कभी तनहाईयों में यूं हमारी याद आएगी…' और फिल्म 'हमराही' (1963) के लिए ‘मुझको अपने गले लगा लो…’ गाया, तब वह रातों रात मशहूरी की बुलंदियों पर आ खड़ी हुयी थीं ! कहते हैं की उनका ऑटोग्राफ लेने के लिए लंबी कतार लगती थी।

मुबारक बेगम ने फ़िल्म 'आईए' के लिए अपना पहला पार्श्वगीत 'मोहे आने लगी अंगड़ाई…' रेकॉर्ड कराया। याक़ूब और सुलोचना चटर्जी की मुख्य भूमिकाओं वाली 1949 में रिलीज़ हुई इस फ़िल्म के संगीतकार थे शौक़त हैदरी देहलवी जो आगे चलकर नाशाद के नाम से मशहूर हुए थे। गीतकार थे नख़्शब। 
Song - Mohe Aane Lagi Angdaayi
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मुबारक बेगम ने अपने आख़िरी गीत फ़िल्म 'रामू तो दीवाना है' के लिए साल 1980 में रेकॉर्ड किए थे। चन्द्रू के संगीत में उनके गाए वो दो गीत थे -  'आओ तुझे मैं प्यार करूं...' और 'सांवरिया तेरी याद में...'
Song - Sanvariya Teri Yaad Men
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Song - Aao Tujhe Main Pyar Karun
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एक बार एक साक्षात्कार में गायिका मुबारक बेगम ने बताया था कि जैसे जैसे उनका नाम होता गया,उनके  ख़िलाफ़ साज़िशें रची जाने लगीं।"  'परदेसियों से ना अंखियां मिलाना..' (फ़िल्म - जब जब फूल खिले) और 'अगर मुझे न मिले तुम..' (फ़िल्म - काजल) गीत उनकी आवाज़ में रेकॉर्ड किए गए  परन्तु जब ये गीत बाज़ार में आए तो उनमें  उनकी  आवाज़ नहीं  थी। 1970 का दशक शुरू होते होते उन्हें  वाकई इंडस्ट्री से बाहर हो जाना पड़ा। और अगर कभी-कभार गाने का मौक़ा मिला भी तो उनमें से मुबारक जी का  एक भी गीत बाज़ार में नहीं आया 


आज  दुर्भाग्यवश  मशहूर प्लेबैक सिंगर और गजल गायिका मुबारक बेगम  मुम्बई के जोगेश्वरी में एक छोटे से घर में  ग़रीबी में अपने  दिन गुजार रही हैं।उनका बेटा टेक्सी चला कर किसी तरह घर चला रहा हैसरकार ७०० रूपये पेंशन देती है.उनकी बेटी पार्किन्सन रोग  से पीड़ित है ,उसका खर्चा भी वही करती हैं
कभी  उनकी गजलों और गानों की जो  दुनिया दीवानी  थी आज उसी दुनिया ने उन्हें बेगाना कर दिया है