Singer Kabban Mirza
कब्बन मिर्ज़ा आल इण्डिया रेडिओ के विविध-भारती से एनाउंसर के तौर पे जुड़े थे। कमाल अमरोही की फिल्म ‘रज़िया सुल्तान’ में कब्बन मिर्ज़ा साहब ने दो गीत इतनी खूबसूरती से गाये कि आज भी संगीत प्रेमी लोग कब्बन मिर्ज़ा को याद करते हैं।
कब्बन मिर्ज़ा और कमाल अमरोही
कमाल अमरोही ने अपनी सबसे महंगी फिल्म ‘रज़िया सुल्तान’ में उनसे दो गाने गवाये थे । इस फिल्म में धर्मेंद्र एक हब्शी ‘याकूब’ बने थे और धर्मेन्द्र के लिए अमरोही साहब को चाहिये थी एक भारी-भरकम गैर पेशेवर आवाज़ । पचासों लोगों का ऑडीशन लिया उन्होंने, कोई आवाज़ उन्हें नहीं जमी । किसी ने कब्बन मिर्ज़ा का नाम उन्हें सुझाया । कब्बन मिर्ज़ा तब मुहर्रम के दिनों में मरसिये और नोहे गाते थे । बहरहाल कब्बन मिर्ज़ा का ऑडीशन लिया गया और ये आवाज़ कमाल अमरोहवी को पसंद आ गयी । इस तरह ये दोनों गाने रिकॉर्ड हुए।
पहले ज़िक्र इस गाने का--- ‘आई ज़ंजीर की झंकार, ख़ुदा ख़ैर करे’
इसे जांनिसार अख़्तर ने लिखा था जो कि आज के जाने-माने गीतकार जावेद अख़्तर के वालिद थे।
Song - Aayee zanjeer ki jhankaar
Movie - Razia Sultan (1983)
Singer - Kabban Mirza
Lyricist - Jaan Nisar Akhtar
Music - Khayyaam
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दूसरा गाना है — तेरा हिज्र मेरा नसीब है, तेरा ग़म ही मेरी हयात है।
इस गाने का संगीत-संयोजन भी काफी-कुछ पिछले गाने जैसा ही है।
वही संतूर और बांसुरी की तरंगें और वहीं झनकती हुई आवाज़ कब्बन साहब की।
इसे निदा फ़ाज़ली ने लिखा है।
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कब्बन मिर्ज़ा ने फिल्म ‘शीबा’ में भी एक गाना गाया था इसके अलावा भी कुछ गुमनाम फिल्में थीं जिनमें उनके गाने थे ।
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